Dil Bechara Movie Review: सुशांत सिंह ने मर के सीखा दिया कि मुश्किल से मुश्किल परिस्थितियों में कैसे जीना है

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Dil Bechara Movie Review: ‘एक था राजा, एक थी रानी… दोनों मर गए खत्म कहानी… ‘सुशांत सिंह राजपूत और संजना सांघी की फिल्म’ दिल बेचारा’ इसी डायलॉग के साथ शुरू होती है और मौत के दर्द से लेकर जिंदगी के बचे हुए लम्हों को दिल खोलकर जीने तक सब कुछ बयां करती है. जन्म कब लेना है और मरना कब है यह शायद हमारे हाथ में नहीं होता, लेकिन जीना कैसे हैं वह हमारे हाथ में होता है.फिल्म दिल बेचारा की कहानी इसी एक मूल वाक्य के इर्द-गिर्द अपना ताना-बाना बुनती है. यह फिल्म 2014 में आई हॉलीवुड फिल्म ‘द फॉल्ट इन अवर स्टार्स’ के इर्द गिर्द ही है. दिल बेचारा फिल्म की कहानी जमशेदपुर में रहने वाली किजी बासु से शुरू होती है,जो कैंसर की पेशेंट है. कीजी अपनी हर दिन घटती बोरिंग जिंदगी से काफी शिकायतें रखती हैं. तभी उसकी जिंदगी में एंट्री होती है. मैनी यानी एमैनुएल राजकुमार जूनियर उर्फ मैनी राजकुमार जूनियर जो रजनीकांत का बहुत बड़ा फैन है. मैनी भी ओस्टियोसार्कोमा कैंसर से पीड़ित है. लेकिन उसके पास जिंदगी से शिकायत करने के लिए वक्त नहीं है. मैंने का एक पैर नहीं है.लेकिन उसकी जिंदगी की उछाल हर किसी को तंग कर देती है.दिल बेचारा दो ऐसे लोगों के प्यार में पड़ने की कहानी है.जो अपने इस कहानी का अंत पहले से जानते हैं.लेकिन फिर भी शायद यही इस बेचारे दिल की कहानी है.दर्शकों के तौर पर भी एक ऐसी फिल्म में लोगों को बांधकर रखना ही बड़ी चुनौती है. जो पहले ही सीन से यह बता दें कि यह मौत जैसी गंभीर विषय पर है.मुकेश छाबड़ा ने अपने इस पहली फिल्म मैं निर्देशक के तौर पर काफी अच्छी भूमिका निभाई है. फिल्म के शुरुआत में काफी हंसी है.और मुस्कुराते हुए सफर तय कर लेते हैं.लेकिन सेकंड हाफ में अचानक कहानी में बदलाव आता है.क्योंकि यह फिल्म जितना हंसाती है.उतना ही रुलाती भी है.सुशांत सिंह राजपूत मैनी के किरदार में जबरदस्त नजर आए हैं.अपने दोस्त के साथ मस्ती करते शख्स से लेकर रजनीकांत की फिल्म देखते हुए रोने तक सुशांत ने मैनी के किरदार के हर रंग को फिल्म में बखूबी दिखाया है. सुशांत जैसे एक्टर को खोना हमारा एक बहुत बड़ा नुकसान है.संजना सांघी की बात करें तो उनकी यह पहली फिल्म है. जिसमें वह लीड किरदार निभाती हुई नजर आई है.वही स्वास्तिका मुखर्जी कीजी के मां के किरदार में काफी अच्छी लगी है.दिल बेचारा फिल्म की म्यूजिक भी बहुत शानदार है. टाइटल ट्रैक से लेकर मैं तुम्हारा…जैसे गाने इस खूबसूरत फिल्म को और भी सुकून देने वाला बना देते हैं. एक्टर सुशांत सिंह राजपूत की आखिरी फिल्म की कहानी मौत के दर्द से लेकर जिंदगी के बचे हुए लम्हों को दिल खोलकर जीने तक सब कुछ बयां करती है. शायद किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि सुशांत सिंह राजपूत की यह फिल्म उनके कैरियर की आखिरी फिल्म साबित होगी. मैं आपको बता दूं कि उनके फैंस अभी तक उनकी मौत के सदमे से उबरे नहीं है. उनकी ये आखिरी फिल्म ‘दिल बेचारा’ देखने के बाद उनके चाहने वाले अपने आंसू रोक नहीं पाए.

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