औरैया सड़क हादसे में 25 मज़दूरों की दर्दनाक मौत की हृदयविदारक खबर सुन मर्माहत हूँ। इसका दोषी कौन है?

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अगर यह मजबूत सरकार 53 दिन बाद भी अपने श्रमवीरों को सुरक्षित घर नहीं पहुँचा सकती तो धिक्कार है। मज़दूर भाईयों ने 35 दिन सरकार के दिशा-निर्देशों का पालन किया, जहाँ थे भूखे-प्यासे वहीं रहे लेकिन किसी ने उनकी कोई सुध नहीं ली। जब उन्होंने वापसी की माँग की तो इन्होंने हाथ खड़े कर दिए।

अपने राज्य के नागरिकों को कोई सरकार ऐसे कैसे disown कर सकती है? क्या ग़रीब मज़दूर भाईयों की इस दशा की ज़िम्मेवार ड़बल इंजन सरकार नहीं है? भारतीय रेलवे के पास 12000 से अधिक रेलगाड़ियाँ है और रेलवे की प्रतिदिन 2 करोड़ से अधिक लोगों को लाने-ले जाने की क्षमता है। सरकार सभी नियमों का पालन करते हुए क्यों नहीं युद्धस्तर पर उस सेवा का उपयोग करती?

भारत माँ के प्यारे श्रमिकों को सरकार द्वारा दोयम दर्जे का नागरिक क्यों समझा जा रहा है?

क्या ऐसी दर्दनाक और दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं का ज़िम्मेवार सरकार नहीं है? दुर्घटना में मारे गए श्रमिको के परिवारों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करता हूँ और घायलों के जल्द स्वस्थ होने की प्रार्थना करता हूं। भगवान मृतकों की आत्मा को शांति प्रदान करे।

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