अब युवा वकील अपने कार्य कौशल को बढ़ाएंगे, IIL के माध्यम से KIIT के तत्वावधान में “विधि शिक्षक अकादमी” करेगा काम

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बार काउंसिल ऑफ इंडिया देश में विधि शिक्षा और विधि व्यवसाय को नियमित / Regulate करने और विधि – शिक्षा के स्तर को बढ़ावा देने के कार्यों का निर्वहन करने के लिए अधिवक्ता अधिनियम 1961 (Advocates Act, 1961) के तहत् संसद द्वारा बनाई गई एक संवैधानिक संस्था है। बार काउंसिल ऑफ़ इंडिया के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्र ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर उक्त बातें कहीं।

उन्होंने कहा कि ट्रस्ट के माध्यम से बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने बी.सी.आई. ट्रस्ट फॉर प्रमोशन ऑफ एजुकेशन (कानूनी और व्यावसायिक) और विधि सुधार और अनुसंधान तथा सामाजिक प्रशिक्षण के सुधार के लिए Indian Institute of Law ( IIL ), नामक एक आदर्श “विधि शिक्षक अकादमी” की स्थापना के लिए पहल की है, यह संस्थान अधिवक्ताओं हेतु सतत् continuous विधि शिक्षा एवम् अनुसंधान का कार्यों का निर्वाह भी करेगी।
उन्होंने कहा कि IIL, भारत के प्रसिद्ध डीम्ड विश्वविद्यालय “कलिंग इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी ( KIIT)” के साथ मिलकर और इसके तत्वावधान में काम करेगा। आज तक विधि शिक्षकों और अधिवक्ताओं के कौशल विकास की जरूरतों को पूरा करने के लिए विधि के क्षेत्र में कोई प्रशिक्षण संस्थान नहीं था। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ लॉ (IIL) के माध्यम से विधि शिक्षक एवम् युवा वकील अपने कार्य कौशल को बढ़ाएंगे।
बी.सी.आई. ट्रस्ट ने वर्ष 1986 में बंगलौर में नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी (NLSIU) नाम से पहले संस्था की स्थापना की थी, जो आज भी देश की मॉडल लॉ यूनिवर्सिटी बनी हुई है। IIL पूरे देश में अपनी तरह का पहला संस्थान होगा। लंबे समय से हमारी काउंसिल इस तरह के संस्थान के बारे में सोच रही थी।
लेकिन बी.सी.आई. की उक्त योजना पहले किसी न किसी वहज से मूर्त न हो सकी , परंतु आखिरकार एक महान दूरदर्शी, शिक्षाविद् लोकसभा के माननीय सदस्य और KIIT और KISS डीम्ड विश्वविद्यालयों के संस्थापक डॉ अच्युत सामंत जी से परामर्श के बाद, बार काउंसिल ऑफ इंडिया के सदस्यों ने फैसला लिया और प्रस्ताव पारित किया कि KIIT विश्वविद्यालय के सहयोग और समर्थन में ओडिशा के भुवनेश्वर में Indian Institute of Law की स्थापना की जाये।
उन्होंने कहा कि बी.सी.आई. ट्रस्ट ने KIIT के साथ एक करार ( MoU ) किया है और तदनुसार KIIT ने पटिया, भुवनेश्वर में आवश्यक बहुत ही बहुमूल्य व उपयोगी भूमि प्रदान की है। इसके अलावा 1.5 लाख वर्ग के प्रस्तावित परिसर के बुनि ढांचे की लागत का 40 % भी KIIT विश्वविद्यालय वहन करने को राजी हुई है।

इसमें कोई संदेह नहीं है कि उक्त संस्थान वैश्विक शिक्षा के मानचित्र में पूरे भारत , खासकर ओडिशा राज्य की स्थिति को सुदृढ़ करके कानूनी शिक्षा के क्षेत्र में लंबे समय तक प्रभाव डालेगी। यह संस्थान विशेष रूप से ओडिशा और सामान्य रूप से पूरे राष्ट्र के लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि साबित होगी।
श्री मिश्र ने कहा कि इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ लॉ निरंतर विधि शिक्षा ( Continuous Legal Education ), प्रोफेशनल स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम, रिफ्रेशर कोर्स और लर्निंग कोर्स फॉर अल्टरनेटिव डिस्प्यूट रेजोल्यूशन से संबंधित कायदों व तरीकों के लिए विभिन्न कार्यक्रमों का प्रबंधन एवम् संचालन करेगा। मध्यस्थता और सुलह सीखने और सिखाने के विभिन्न केंद्रों के तहत , यह कानून, न्यायिक और सामाजिक विकास के सभी पहलुओं में अनुसंधान करेगा और इसे प्रकाशित और प्रदर्शित करेगा।
यह निरंतर विधि शिक्षा ( Continuous Legal Education ) के उद्देश्य के लिए प्रशिक्षण और कानूनी शिक्षा के दौर से गुजर रहे वकीलों के लिए विभिन्न कानूनी विषयों पर केसबुक, पत्रिकाओं, समाचार पत्र आदि ( हार्ड कॉपी और ऑनलाइन और ऑफलाइन माध्यम से सॉफ्ट कॉपी दोनों ) प्रकाशित करेगा।
समय – समय पर यह संस्थान अधिवक्ताओं , शिक्षाविदों और न्यायविदों के लिए संस्थान संगोष्ठियों, प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन और संचालन करेगा।
यह भारत के भीतर और बाहर अपनी उन्नति के लिए National Law Universities और अन्य अच्छे विधि विश्वविद्यालयों, व्यावसायिक निकायों , न्यायपालिका , सरकारी विभागों और गैर सरकारी संगठनों और विभिन्न अधिवक्ता संघों , बार एसोसिएशनों, स्टेट बार काउंसिलों एवम् दुनिया के प्रतिष्ठित संस्थानों व कानूनी कार्यों से जुड़े अन्य संगठनों के साथ सहयोग करेगा।
प्रथम चरण में आईआईएल की निम्नलिखित इकाइयाँ होंगी :
( i ) शैक्षणिक स्टाफ कॉलेज ( ASC )
( ii ) स्कूल ऑफ कंटीन्यूइंग एजुकेशन ( SCE )
( iii ) आई . आई . एल . प्रशिक्षण केंद्र ( IIL – TC )
( iv ) कानूनी सहायता केंद्र ( CLA )
( v ) विदेशी डिग्री धारकों के लिए ब्रिज कोर्स ।
आईआईएल के प्रबंधन हेतु तीन निकायों यानि सामान्य परिषद , कार्यकारी परिषद और शैक्षणिक परिषद का गठन करेगा और प्रबंधन संबंधी इन निकायों में सर्वोच्च न्यायपालिका, सरकार, शिक्षा मंत्रालय, यूजीसी, शिक्षाविदों, विधि व्यवसाय के वरिष्ठ सदस्यों, ओडिशा के मुख्य व अन्य न्यायाधीशों का पर्याप्त प्रतिनिधित्व होगा।
उन्होंने कहा कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया ट्रस्ट प्रारंभिक 3 वर्षों के लिए संस्थान के उक्त सभी कार्यक्रमों को स्वयम् संचालित करेगा। उसके बाद . कुछ National Law Universities एवम् अन्य पर्याप्त इन्फ्रास्ट्रक्चर (infrastructure) रखने वाले संस्थानों को भी IIL की तर्ज पर पाठ्यक्रम प्रदान करने की अनुमति दी जाएगी।

हमने सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों, पूर्व न्यायाधीशों, प्रतिष्ठित न्यायविदों, प्रतिष्ठित वरिष्ठ अधिवक्ताओं, बार के प्रख्यात नेताओं और NLU व अन्य प्रतिष्ठित विधि शिक्षकों के सक्रिय सहयोग व सहभागिता से शिक्षकों में कौशल विकास कराने का निर्णय लिया है। ऐसे लोग ही उस संस्थान के मार्गदर्शक, पूर्णकालिक शिक्षक और अतिथि शिक्षक हुआ करेंगे।
उन्होंने कहा कि इसके अलावा , बी.सी.आई. ट्रस्ट उक्त कार्यक्रमों के लिए विदेशों के विख्यात लॉ डीन, शिक्षाविद्, जजों और बार के प्रतिनिधियों व सदस्यों को भी आमंत्रित करेगा।
उपर्युक्त सभी कानूनी दिग्गज अपने ज्ञान और अनुभव के मोती साझा करेंगे जो न केवल विधि शिक्षकों और विधिवेत्ताओं को लाभान्वित करेंगे, बल्कि उन्हें भारत और विदेशों के अच्छे प्रख्यात शिक्षाविदों से बातचीत करने और सीखने का एक सुअवसर और मंच प्रदान करेंगे।
उन्होंने कहा कि हमारा मानना है कि यह Indian Institute of Law कानूनी शिक्षा और कानूनी पेशे के इतिहास में एक ऐतिहासिक कदम होगा जो कानून और न्याय संबंधी शिक्षा के क्षेत्र में बहुत मदद करेगा।
हम डॉ अच्युत सामंत जी जैसे महान् व्यक्ति के आभारी हैं , जिन्होंने हमारे प्रस्ताव को स्वीकार किया और अपने ट्रस्ट के माध्यम से इस संस्थान की स्थापना के लिए भुवनेश्वर में इतना मूल्यवान जमीन प्रदान की , अन्य योगदान भी दे रहे हैं।
हाँ, डॉ सामंत वास्तव में मनुष्य के रुप में एक भगवान हैं। आप सभी जानते हैं, डॉ सामंत ने विश्व स्तर के दो – दो विश्वविद्यालयों , मेडिकल , इंजीनियरिंग, प्रबंधन, नर्सिंग, लॉ, कला और कई अन्य बड़े संस्थानों के संस्थापक हैं। लगभग 35000 आदिवासी छात्रों को प्रतिदिन कक्षा 1 से लेकर स्नातकोत्तर तक मुफ्त शिक्षा प्रदान करने के अलावा उनका खाना , कपड़ा , आवास सभी सुविधाएँ और सेवाएँ मुफ्त देते हैं। हमने दुनिया में ऐसे महान व्यक्ति के बारे में कभी नहीं देखा या सुना है, जो इस प्रकार के कठिन सेवा को इतनी सरलता से बखूबी करते आ रहे।
सामंता जी एक ऐसे व्यक्ति है जो अविवाहित रहे और उनके नाम पर जमीन या संपत्ति का एक भी टुकड़ा नहीं है। उनके पास जो कुछ भी है, वह समाज, गरीब व असहाय जनता और युवाओं के लिए है और यह सब उन्होंने अपनी पूर्ण आस्था, समर्पण, दूरदर्शिता एवम् अथक प्रयासों के बल पर हासिल किया है। इसमें भगवान जगन्नाथ की असीम कृपा है और यही वहज है कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने एकमत से IIL जैस अनोखे संस्थान को स्थापित करने की पूर्ण जिम्मेदारी डॉ सामंत को सौंपने का संकल्प लिया है।
श्री मिश्र ने भगवान जगन्नाथ जी से उनको दीर्घायु व स्वस्थ रखने और विधि शिक्षा और विधि व्यवसाय के कल्याण होने की कामना की।

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