पटना हाईकोर्ट में आज एक जनहित याचिका की सुनवाई हुई, जिसमे राजधानी पटना में शौचालयों की खराब हालत और गन्दगी पर नाराजगी जाहिर करते हुए पटना हाई कोर्ट ने कहा कि पटना में एक भी शौचालय ऐसा नही है जहाँ लोग जा सके. मुख्य न्यायाधीश मुकेश आर शाह की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने इस संबंध में अधिवक्ता मणीभूषण प्रताप सेंगर द्वारा दायर लोकहित याचिका पर सुनवाई की.
कोर्ट ने जानना चाहा कि शौचालयों के लिए जो पैसा दिया गया है उस पैसे का क्या हुआ है. इसे कहाँ और कैसे खर्च किया गया है. याचिका कर्ता द्वारा अदालत को बताया गया है कि वर्ष 2015-16 में 11.59 करोड़ स्वस्थ भारत मिशन के अंतर्गत एवम् 2016 में ही 1.09 करोड़ रुपए सरकार द्वारा दी गई है. कोर्ट ने पटना शहर में शौचालयों और पेशाब घरों की गन्दगी और रख रखाव पर भी कड़ी टिप्पड़ी की. शौचालयों की दयनीय स्थिति की फ़ोटो देख कर कोर्ट ने पूछा कि क्या ऐसे ही गन्दगी शौचालयों में रहती है. केंद्र सरकार ने इस मद जो फंड पटना नगर निगम को दिया उसका भी उपयोग सही तरीके से निगम ने नहीं किया. अदालत ने पटना नगर निगम के आयुक्त को इस संबंध में विस्तृत शपथ पत्र 11 अक्टूबर तक देने का निर्देश कोर्ट ने दिया है.